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कषाय की विचित्रता नगर के बाहर एक छोटा-सा आश्रम था। वहां एक त्यागी जी रहते थे। वहां से निकलने वाले यात्री भी कभी घण्टे-दो-घण्टे तो कभी रात्रि में भी विश्राम ...